Tuesday, November 13, 2007

हमें फुरसत नहीं"

हमें फ़ुरसत नहीं...

अब तो किसी महफिल में जाने की हमें फ़ुरसत नहीं
किसी और से अपना दिल लगाने की हमें फ़ुरसत नहीं

जिस को बसाना था इस दिल मैं ,वो आकर बस गयी है
किसी और को दिल मैं बसाने की हमें फ़ुरसत नहीं

जिस पे सभी जान लुटाते हें,उसको हमने पाया है
किसी और पर अपनी जान लुटाने की हमें फ़ुरसत नहीं

उसके सजदे मैं जब से सर अपना झुका लिया हमने
किसी और के आगे सर झुकाने की हमें फ़ुरसत नहीं

बे-कदर दुनिया ये पूछती है की कौन है वो?
हम यही केहते हें, बताने की अब हमें फ़ुरसत नही...


***Not Mine***

"कैसे बताऊँ मैँ तुम्हें"

कैसे बताऊं मैं तुम्हें ?



कैसे बताऊं मैं तुम्हे ?

मेरे लिऐ तुम कौन हो ?

कैसे बताऊं मैं तुम्हे ?

तुम धङकनों का गीत हो ,

जीवन का तुम संगीत हो।

तुम ज़िन्दगी,

तुम बन्दगी ,

तुम रौशनी ,

तुम ताज़गी,

तुम हर खुशी,

तुम प्यार हो ।

तुम प्रीत हो,

मनमीत हो

आँखो में तुम ,

यादों में तुम,

सांसो में तुम ,

आहों में तुम,

नींद में तुम ,

ख्वाबों में तुम,

तुम ही मेरी हर बात में

तुम सुबह में,

तुम शाम में,

तुम सोच में ,

तुम काम में,

मेरे लिए पाना भी तुम,

मेरे लिए खोना भी तुम,

मेरे लिए हँसना भी तुम,

मेरे लिए रोना भी तुम।

और जागना , सोना भी तुम।

जाऊं कहीं देखूं कहीं

तुम हो वहाँ ,

तुम हो वहीं।

कैसे बताऊं मैं तुम्हे ?

तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं


"Not Mine"